बरसात बन जाना चाहता हूं अब... अटल, अडिग, मनमौजी... | हिंदी कविता Video

"बरसात बन जाना चाहता हूं अब... अटल, अडिग, मनमौजी..... मेरे बरसने से पहले मेरी प्रतीक्षा हो, और बरसने के बाद मेरे कभी ना जानें की प्रतिक्षाएं.... हो जाना चाहता हु बूंदे, वो जो कभी पत्तो से सर सराकर जमीन पर लुढ़क जाए और खिल जाए कोई कली जो जमी में दबी दबी सी मुस्कुरा रही हो बाहर आकर खिलने के लिए...... कोई ले हाथ में जब बूंदे किसी अल्हड़ युवती की तरह और बहोत देर तक देखती रहे बरसते बदरा के एक एक बूंद को गिने, किसी गाने को गुनगुनाते हुए और मैं बूंद बूंद में उसे एकटक ताकता रहु..... झम से बरसू तो कोई सहम के लिपट जाए किसी से, और गड़ गड़ाते बादलो को मै इशारा कर और डराने को कहूं.. के कोई मनमीत अपने प्यार से दूर होने की कल्पना उस क्षण के लिए त्याग दे... मैं प्रतीक हू, प्रेम का, बदमाश हू, आवारा हु... बरस जाना चाहु कुछ ऐसे ही बस, मैं बरसात बन जाना चाहता हूं।।।।🍂🍂♥️♥️🌧️🌧️🌧️🌧️ #विभुतनी ©तृष्णा "

बरसात बन जाना चाहता हूं अब... अटल, अडिग, मनमौजी..... मेरे बरसने से पहले मेरी प्रतीक्षा हो, और बरसने के बाद मेरे कभी ना जानें की प्रतिक्षाएं.... हो जाना चाहता हु बूंदे, वो जो कभी पत्तो से सर सराकर जमीन पर लुढ़क जाए और खिल जाए कोई कली जो जमी में दबी दबी सी मुस्कुरा रही हो बाहर आकर खिलने के लिए...... कोई ले हाथ में जब बूंदे किसी अल्हड़ युवती की तरह और बहोत देर तक देखती रहे बरसते बदरा के एक एक बूंद को गिने, किसी गाने को गुनगुनाते हुए और मैं बूंद बूंद में उसे एकटक ताकता रहु..... झम से बरसू तो कोई सहम के लिपट जाए किसी से, और गड़ गड़ाते बादलो को मै इशारा कर और डराने को कहूं.. के कोई मनमीत अपने प्यार से दूर होने की कल्पना उस क्षण के लिए त्याग दे... मैं प्रतीक हू, प्रेम का, बदमाश हू, आवारा हु... बरस जाना चाहु कुछ ऐसे ही बस, मैं बरसात बन जाना चाहता हूं।।।।🍂🍂♥️♥️🌧️🌧️🌧️🌧️ #विभुतनी ©तृष्णा

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