शिकायत नहीं कोई, ना ही शिकवा किसी बात की ।
तूने जो थामा है हाथ मेरा, फिक्र करू किस बात की ।।
किसी और की बात में वो बात कहां जो तेरे बात में हैं ।
क्यूं डरता रहूं खामखा की क्या होगा, जब तू साथ में है।
निश्चिंत व निर्भीक हो जाता हूं अक्सर मैं ये सोच कर ।
मेरी हार मेरी जीत मेरे सुख मेरे दुख तो सब तेरे हाथ में है ।।
©"Vibharshi" Ranjesh Singh
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