पल्लव की डायरी
समग्रता चढ़ जाये परिग्रह की भेंट
व्यक्तिवाद का पोषक होता है
अनेकान्तवाद से देखो हर पहलू
परिभाषित देश समाज परिवार सुरक्षित होता है
हिंसा के खुले कितने द्वार और मनोभाव है
जिससे डरा सहमा मानव रहता है
विध्वंसक और अराजक हो व्यवस्थाये
तब बम विस्फोटों से ज्यादा कालकवलित
जनमानस होता है
बिना अहिंसा धारण किये,शांती मार्ग सुलभ नही है
कर्मकाण्ड की कीमत पर,भगवदस्वरूप प्रकट नही है
मूर्ति की कोई कीमत नही,जब तक मूर्तिमान का
ह्रदय के समक्ष अवतरण नही होता है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#God जब तक मूर्तिमान का ह्रदय के समक्ष अवतरण नही होता है
#nojotohindi