गुलाब का मुर्झाना उदास होना है,
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गुलाब प्यासा नही मरता गमले में,
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गुलाब महीनों किताबों के बीच
रखे जाने पर भी ज़िंदा रहता है.
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सूखे गुलाब को चूमकर फिर,
खिलाया जा सकता है.!
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गुलाब का टूटना ,सुखना
और मुर्झाना नियति है.
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पर गुलाब को काँटो से अलग करना
गुलाब की हत्या करना है.
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काँटे गुलाब का कवच है.
जैसे प्रेम में देह को छुते हुए ही मन को छुआ जाता है.
प्रेम में देह मन का कवच है.
©Neeraj Neer
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