एक रोज ये भी होना ही था, इंसान को इंसान से खतरा हो | हिंदी शायरी

"एक रोज ये भी होना ही था, इंसान को इंसान से खतरा होना ही था कब तक तुम जुर्म करते बे- जुबान पर एक दिन इंसान को पिंजड़े में कैद होना ही था"

 एक रोज ये भी होना ही था,
इंसान को इंसान से खतरा होना ही था

कब तक तुम जुर्म करते बे- जुबान पर
एक दिन इंसान को पिंजड़े में कैद होना ही था

एक रोज ये भी होना ही था, इंसान को इंसान से खतरा होना ही था कब तक तुम जुर्म करते बे- जुबान पर एक दिन इंसान को पिंजड़े में कैद होना ही था

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