विषय:- एक दिया एक दिया जलाओ उन जवान के लिए | हिंदी कविता

"विषय:- एक दिया एक दिया जलाओ उन जवान के लिए जो मर मिट गए आन बान शान के लिए कितने घर को है छोड़े कितने हुए पर आए कितने देश के खातिर देखो आज हुए घरसाई जलाओ उनके साहसीपूर्ण काम के लिए हंसता हुआ मुखड़ा लेकर जिसने घर को छोड़ा जाकर सरहद पर जिसने अपना दम है तोड़ा निभावो रसम कम से कम एक शाम के लिए नव दांपत्य सूत्र में जिसने अभी-अभी था बंधा क्या जरूर था जवान को, कर लेता धूहा-धंधा चाहता तो सेज सजाता, नए मेहमान के लिए ✍️कौशल किशोर ©Kaushal Kishore"

 विषय:- एक दिया

एक  दिया  जलाओ उन  जवान  के  लिए 
जो  मर मिट  गए आन  बान शान के लिए

कितने घर को है छोड़े कितने हुए पर आए
कितने देश के खातिर देखो आज हुए घरसाई
जलाओ उनके साहसीपूर्ण  काम  के  लिए


हंसता हुआ मुखड़ा लेकर जिसने घर को छोड़ा
जाकर सरहद पर जिसने अपना दम है तोड़ा
निभावो रसम कम से कम एक शाम के लिए

नव दांपत्य सूत्र में जिसने अभी-अभी था बंधा
क्या जरूर था जवान को, कर लेता  धूहा-धंधा
चाहता तो सेज सजाता, नए मेहमान के  लिए

✍️कौशल किशोर

©Kaushal Kishore

विषय:- एक दिया एक दिया जलाओ उन जवान के लिए जो मर मिट गए आन बान शान के लिए कितने घर को है छोड़े कितने हुए पर आए कितने देश के खातिर देखो आज हुए घरसाई जलाओ उनके साहसीपूर्ण काम के लिए हंसता हुआ मुखड़ा लेकर जिसने घर को छोड़ा जाकर सरहद पर जिसने अपना दम है तोड़ा निभावो रसम कम से कम एक शाम के लिए नव दांपत्य सूत्र में जिसने अभी-अभी था बंधा क्या जरूर था जवान को, कर लेता धूहा-धंधा चाहता तो सेज सजाता, नए मेहमान के लिए ✍️कौशल किशोर ©Kaushal Kishore

#एक दिया

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