चांदनी रात के ख़ामोश तारे को पता है ग़मो की चादर ओढ़े | हिंदी Poetry

"चांदनी रात के ख़ामोश तारे को पता है ग़मो की चादर ओढ़े हुए हूँ लेकिन अबतक रोया नहीं हूँ, याद आज भी आती है तुम्हारी इसलिए रात भर सोता नहीं हूँ ©Divyang Batham"

 चांदनी रात के ख़ामोश तारे को पता है ग़मो की चादर ओढ़े हुए हूँ लेकिन अबतक रोया नहीं हूँ, याद आज भी आती है तुम्हारी इसलिए रात भर सोता नहीं हूँ

©Divyang Batham

चांदनी रात के ख़ामोश तारे को पता है ग़मो की चादर ओढ़े हुए हूँ लेकिन अबतक रोया नहीं हूँ, याद आज भी आती है तुम्हारी इसलिए रात भर सोता नहीं हूँ ©Divyang Batham

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