रिमझिम रुनझुन बरसन लागे,
पिया मिलन को तरसन लागे,
कोयल पपिहा काग सुनो सब,
प्रेम की धारा सरसन लागे।
साज बजाए अतरंगी फिर,
गीत सुनाए सतरंगी फिर,
मन फूहड़ सुने छंद बहार,
सावन लाया सजन श्रृंगार।
बरसो मेघा, राग मल्हार ।
©Senty - Poet
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