White बात कड़वी वो कभी सुनता नहीं। बात कड़वी जो कभ | हिंदी Poetry

"White बात कड़वी वो कभी सुनता नहीं। बात कड़वी जो कभी कहता नहीं। लक्ष्य फिर उसको कभी मिलता नहीं। पत्थरों की मार यदि सहता नहीं। रूप बदले हैं निरन्तर हर घड़ी, दिन कभी भी एक सा रहता नहीं। अनवरत बह ता समुन्दर की तरफ़, शान्त हो दरि या कभी रहता नहीं। इसलिए मज़लूम उसको सब कहें, मुँह से अपने ज़ुल्म सह कहता नहीं। ©"SILENT""

 White बात कड़वी वो कभी सुनता नहीं।
बात कड़वी जो कभी कहता नहीं।

लक्ष्य फिर उसको कभी मिलता नहीं।
पत्थरों की मार यदि सहता नहीं।

रूप बदले हैं निरन्तर हर घड़ी,
दिन कभी भी एक सा रहता नहीं।

अनवरत बह ता समुन्दर की तरफ़,
शान्त हो दरि या कभी रहता नहीं।

इसलिए मज़लूम उसको सब कहें,
मुँह से अपने ज़ुल्म सह कहता नहीं।

©"SILENT"

White बात कड़वी वो कभी सुनता नहीं। बात कड़वी जो कभी कहता नहीं। लक्ष्य फिर उसको कभी मिलता नहीं। पत्थरों की मार यदि सहता नहीं। रूप बदले हैं निरन्तर हर घड़ी, दिन कभी भी एक सा रहता नहीं। अनवरत बह ता समुन्दर की तरफ़, शान्त हो दरि या कभी रहता नहीं। इसलिए मज़लूम उसको सब कहें, मुँह से अपने ज़ुल्म सह कहता नहीं। ©"SILENT"

#Hindi pantiya#@Preeti @Anshu writer @Sajidkashmiri @Anamika..... @Bandita

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