White ओ लेखनी विश्राम कर
अब और यात्रायें नहीं
मंगल कलश पर
काव्य के अब शब्द
के स्वस्तिक न रच
अक्षम समीक्षायें
परख सकतीं न
कवि का झूठ सच
लिख मत गुलाबी पंक्तियाँ
गिन छ्न्द, मात्रायें नहीं
बन्दी अधेंरे
कक्ष में अनुभूति की
शिल्पा छुअन
वादों विवादों में
घिरा साहित्य का
शिक्षा सदन
अनगिन प्रवक्ता हैं यहाँ
बस छात्र छात्रायें नहीं............................ ✍️🙏🙏
©Neelam Modanwal
ओ लेखनी विश्राम कर
अब और यात्रायें नहीं
मंगल कलश पर
काव्य के अब शब्द
के स्वस्तिक न रच
अक्षम समीक्षायें
परख सकतीं न