फाल्गुन की ये सुबह.. तेरे दिये हुए फूलों की तरह. | हिंदी कविता

"फाल्गुन की ये सुबह.. तेरे दिये हुए फूलों की तरह. मेरे जीवन में रंग भर रही, तेरी यादों की चुभन.. अधूरा मैं..अधूरी तुम.. मुझ बिन | क्यूँ ये दूरियाँ फिर., तेरे मेरे बीच में.. आ लग जा गले , क्षणिक मेरे ख़्वाब से.... तुम मेरे हृदय में सांसे भर रही.... मनोज कुमार ( मन अलबेला) ©मन"

 फाल्गुन की ये सुबह.. 
 तेरे दिये हुए फूलों की तरह. 
मेरे जीवन में रंग भर रही, 
तेरी यादों की चुभन.. 
अधूरा मैं..अधूरी तुम..
 मुझ बिन |
क्यूँ ये दूरियाँ फिर., 
तेरे मेरे बीच में.. 
आ लग जा गले ,
   क्षणिक मेरे ख़्वाब से.... 
 तुम मेरे हृदय में सांसे भर रही.... 
मनोज कुमार ( मन अलबेला)

©मन

फाल्गुन की ये सुबह.. तेरे दिये हुए फूलों की तरह. मेरे जीवन में रंग भर रही, तेरी यादों की चुभन.. अधूरा मैं..अधूरी तुम.. मुझ बिन | क्यूँ ये दूरियाँ फिर., तेरे मेरे बीच में.. आ लग जा गले , क्षणिक मेरे ख़्वाब से.... तुम मेरे हृदय में सांसे भर रही.... मनोज कुमार ( मन अलबेला) ©मन

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