White पल्लव की डायरी
भीड़ से अस्त व्यस्त दुनिया
किस और भागी जाती है
सांसो पर नही भरोसा
कितने ख्वाव सजाती है
सिर्फ अहंकार का पोषण करने
दल दल में जिंदगी फंसती जाती है
तोड़ कर सारे पैमाने नैतिकता के
अंतर्मन को साध नही पाते है
लालचों के आगोश में
सकून के क्षण छूटे जाते है
अपेक्षा के सागर इतने बड़े
चुल्लू भर शांति का अहसास कर नही पाते है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#Free अपेक्षा के सागर इतने बड़े
#nojotohindi