न हक़ के लिए उठे तो शमशीर भी फितना। शमशीर ही क्या | हिंदी Shayari

"न हक़ के लिए उठे तो शमशीर भी फितना। शमशीर ही क्या नारा-ए-तकबीर भी फितना।। ©@aliwriters_"

 न हक़ के लिए उठे तो शमशीर भी फितना।
शमशीर ही क्या नारा-ए-तकबीर भी फितना।।

©@aliwriters_

न हक़ के लिए उठे तो शमशीर भी फितना। शमशीर ही क्या नारा-ए-तकबीर भी फितना।। ©@aliwriters_

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