हाल-ए-मर्ग-ए-बे-कसी सुन कर असर कोई न हो ,
सच तो ये है आप सा भी बेख़बर कोई न हो ...
वो क़यामत की घड़ी है तालिब-ए-दीदार पर ,
जब उठे पर्दा तो पर्दे के उधर कोई न हो ...
इश्क़ में बे-ताबियाँ होती हैं लेकिन ऐ अरशद ,
जिस क़दर बेचैन तुम हो उस क़दर कोई न हो ...
©꧁ARSHU꧂ارشد
हाल-ए-मर्ग-ए-बे-कसी सुन कर असर कोई न हो ,
सच तो ये है आप सा भी बेख़बर कोई न हो ...
वो क़यामत की घड़ी है तालिब-ए-दीदार पर ,
जब उठे पर्दा तो पर्दे के उधर कोई न हो ...
इश्क़ में बे-ताबियाँ होती हैं लेकिन ऐ अरशद ,
जिस क़दर बेचैन तुम हो उस क़दर कोई न हो ... @sana naaz @Ambika Jha @Anupriya Neelam Modanwal @Nasiba Bibi