बड़ी सिद्दत से मिलने गए थे हम
लेके किसी की परवाह का गम
मगर वो जिस्म के दीवाने थे
जिस्म की आग मे जले परवाने थे
कर के प्यास पूरी वो तो निकल गए
एक हम घर वाली की आग मे जल गए
ना हमें हुस्न की प्यास थी
तुम से भी मुहबत की आस थी
मगर क्या करे कुछ समय बे रहम होगया
सब कुछ जो कई बर्षो में पाया था
एक पल मै खो गया
वो कर के साबित गुनेहगार मुझे
हमेशा के लिए जुदा होगया
©Thakur Netrapal singh
#Chhavi