आईना रोज सहता होगा, सितम तेरे ख़ामोशी से कसीदे ता | हिंदी शायरी

"आईना रोज सहता होगा, सितम तेरे ख़ामोशी से कसीदे तारीफ़ में ना पढूं मैं कोई आईना तो नहीं ।। ©sanjeev kumar Kumbhkar"

 आईना रोज सहता होगा, सितम तेरे ख़ामोशी से 
कसीदे तारीफ़ में ना पढूं मैं कोई आईना तो नहीं ।।

©sanjeev kumar Kumbhkar

आईना रोज सहता होगा, सितम तेरे ख़ामोशी से कसीदे तारीफ़ में ना पढूं मैं कोई आईना तो नहीं ।। ©sanjeev kumar Kumbhkar

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