क्यूं इतराते हो तुम, किस बात पर कतराते हो। क्या मु | हिंदी कविता Video

"क्यूं इतराते हो तुम, किस बात पर कतराते हो। क्या मुझ में कुछ कमी है या, झूठे भाव खाते हो।। चलो माना तुम खूबसूरत, इक ख्वाब की हद हो। तो क्या सपनों में भी, मैं तुम से ना मिलूं।। तेरे रूप की कायल हूं मैं इसका फायदा उठाते हो।। तुम क्यूं नहीं समझते मेरे दिल के जज्बातों को। कैसे मैंने मेरे हृदय की वेदना को समेटा है।। देखो इस तरह मुझसे रूठो ना, मै तुम्हे मना नहीं पाऊंगी। मै तुमसे मोहब्बत करती हूं, तुम्हे भुला नहीं पाऊंगी।। मैंने मेरे हर इक स्वांस में तेरा नाम लिखा है । इसे मिटाओ मत मै जी नहीं पाऊंगी।। तुम जो इस तरह दूर मुझसे होते रहे। मै इतनी दूर चली जाऊंगी की तुमको नजर नहीं आऊंगी।। आखिर तुम चुप क्यों हो, किस बात को छुपाते हो। कह दो ना कि तुम भी मुझसे प्यार करते हो।। अरे एक बार मुझे, मेरी नजरों से देख लो ना। फिर मैं कभी, तेरे नजर से ना जाऊंगी।। तेरा इतराना, तेरा यूं मुझे जान बूझ कर परेशान करना। मेरी प्यार की हद है, बस तू जो मुझे देख कर मुस्करा दे, तुझ पे ये मै मेरी जा निसार कर दूं।। यूं तेरी बेरुखी, बेकशी में मेरा जीना दुश्वार हो गया। कि अब तो सजन, मेरा मरना आसान हो गया।। जो तू अब भी न कहा कि तुझसे मोहब्बत है मुझे, जाने जां, मेरे कब्र का,रास्ता अखतियार हो गया ।। :- सुजीत कुमार मिश्रा, प्रयागराज।"

क्यूं इतराते हो तुम, किस बात पर कतराते हो। क्या मुझ में कुछ कमी है या, झूठे भाव खाते हो।। चलो माना तुम खूबसूरत, इक ख्वाब की हद हो। तो क्या सपनों में भी, मैं तुम से ना मिलूं।। तेरे रूप की कायल हूं मैं इसका फायदा उठाते हो।। तुम क्यूं नहीं समझते मेरे दिल के जज्बातों को। कैसे मैंने मेरे हृदय की वेदना को समेटा है।। देखो इस तरह मुझसे रूठो ना, मै तुम्हे मना नहीं पाऊंगी। मै तुमसे मोहब्बत करती हूं, तुम्हे भुला नहीं पाऊंगी।। मैंने मेरे हर इक स्वांस में तेरा नाम लिखा है । इसे मिटाओ मत मै जी नहीं पाऊंगी।। तुम जो इस तरह दूर मुझसे होते रहे। मै इतनी दूर चली जाऊंगी की तुमको नजर नहीं आऊंगी।। आखिर तुम चुप क्यों हो, किस बात को छुपाते हो। कह दो ना कि तुम भी मुझसे प्यार करते हो।। अरे एक बार मुझे, मेरी नजरों से देख लो ना। फिर मैं कभी, तेरे नजर से ना जाऊंगी।। तेरा इतराना, तेरा यूं मुझे जान बूझ कर परेशान करना। मेरी प्यार की हद है, बस तू जो मुझे देख कर मुस्करा दे, तुझ पे ये मै मेरी जा निसार कर दूं।। यूं तेरी बेरुखी, बेकशी में मेरा जीना दुश्वार हो गया। कि अब तो सजन, मेरा मरना आसान हो गया।। जो तू अब भी न कहा कि तुझसे मोहब्बत है मुझे, जाने जां, मेरे कब्र का,रास्ता अखतियार हो गया ।। :- सुजीत कुमार मिश्रा, प्रयागराज।

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#सुजीत_कुमार_मिश्रा

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