दरकते प्रेम की पीड़ा,
निःसंदेह, हृदय से निकलती है।
लाल रक्त धमनियों से होता हुआ,
पीड़ा को समाहित कर,
मस्तिष्क के उस भाग पर पहुँचता है,
जहाँ, उस प्रेम की तस्वीर बनी है।
हाँ रंगीन है ,सुहानी है, आकर्षक है,
पर प्रेमाघात की पीड़ा से,
ज्यों ही रगें फटती हैं,
सारा दर्द बिखर कर,
उस तस्वीर पर छिटक जाता है,
और वो तस्वीर, दर्द से भीग जाती है,
उसको छूते ही,दरक जाती है,
भीगे कागज की तरह,
हम उसे गर्म साँसों से सुखाने ,
की कोशिश करते हैं,
सूख तो जाती है,
पर सिकुड़ जाती है.......
हमेशा के लिए......….
दुबारा वो पहले जैसी नहीं होती।
©दीपा साहू "प्रकृति"
#sugarcandy #Prakriti_ #deepliner#poem #Photography #love #SAD
#Nozoto
दरकते प्रेम की पीड़ा,
निःसंदेह, हृदय से निकलती है।
लाल रक्त धमनियों से होता हुआ,
पीड़ा को समाहित कर,
मस्तिष्क के उस भाग पर पहुँचता है,
जहाँ, उस प्रेम की तस्वीर बनी है।