हर गिरा हुआ पर्दा वैश्या का नहीं होता हर उठा हुआ ह | हिंदी शायरी

"हर गिरा हुआ पर्दा वैश्या का नहीं होता हर उठा हुआ हाथ दुआ का नहीं होता कुछ अपनी ही गलतियों से बुझ जाते हैं चिराग क्योंकि हर कुसूर हवा का नहीं होता ©Lalman sonkar"

 हर गिरा हुआ पर्दा वैश्या का नहीं होता हर उठा हुआ हाथ दुआ का नहीं होता कुछ अपनी ही गलतियों से बुझ जाते हैं चिराग क्योंकि हर कुसूर हवा का नहीं होता

©Lalman sonkar

हर गिरा हुआ पर्दा वैश्या का नहीं होता हर उठा हुआ हाथ दुआ का नहीं होता कुछ अपनी ही गलतियों से बुझ जाते हैं चिराग क्योंकि हर कुसूर हवा का नहीं होता ©Lalman sonkar

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