मेरा इज़हार था इज़हार है इज़हार ही रहेगा
तेरा इनकार था इनकार है इनकार है रहेगा
उसका खुमार था खुमार है खुमार ही रहेगा
मुझे इंतज़ार था इंतज़ार है इंतज़ार ही रहेगा
उसने लाख सितम ढाये पर क्या करूं दोस्त
वो मेरा सच्चा प्यार था प्यार है प्यार ही रहेगा
तुझे जब देखा कहीं कुछ लम्हें के लिए ही सही
वो पल त्योहार था त्योहार है त्योहार ही रहेगा
भोले भालों से मुस्कुरा के काम करवा लेता है
वो होशियार था होशियार है होशियार ही रहेगा
उसे डोली में विदा कर कहा सबने मुझे!कातिब
तू ज़ारज़ार था ज़ारज़ार है ज़ारज़ार ही रहेगा
©सौरभ श्रीवास्तव
नए तरीके से लिखी गई एक ग़ज़ल नुमा ख्याल मेरा स्टाइल copyright भी मेरा है
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