अब थोड़ा सा मैं बदलने लगा हूं। कुछ पुराने गीतों क | हिंदी लव

"अब थोड़ा सा मैं बदलने लगा हूं। कुछ पुराने गीतों को अब ध्यान से सुनने लगा हू, थोड़ा मैं बदलने लगा हूं। कभी जाता नहीं था मैं बगीचे तक अब फूलों को भी सुनने लगा हू, थोड़ा मैं बदलने लगा हू, सुना है वो जाती है मुंडेर पर, इसलिए रात को हर पहर उठने लगा हूं, थोड़ा में बदलने लगा हूं। बारिश की बूंदे जो कभी बोर लगती थी, अब उन बूंदों के साथ वक्त गुजारने लगा हू, थोड़ा मैं बदलने लगा हूं। कभी उड़ा देता था पैसे दोस्तों पर बेवजह, आप कुछ पैसे छुपा कर किताब में रखने लगा हूं, थोड़ा में बदलने लगा हूं। जो पहले समय को छोड़ देता था पीछे, अब मंजिल का इंतजार करने लगा हू, हां थोड़ा मैं बदलने लगा हू।। ©Neeraj Neel"

 अब थोड़ा सा मैं बदलने लगा हूं।
 कुछ पुराने गीतों को अब ध्यान से सुनने लगा हू,
थोड़ा मैं बदलने लगा हूं।
कभी जाता नहीं था मैं बगीचे तक
अब फूलों को भी सुनने लगा हू,
थोड़ा मैं बदलने लगा हू,
सुना है वो जाती है मुंडेर पर,
इसलिए रात को हर पहर उठने लगा हूं,
थोड़ा में बदलने लगा हूं।
बारिश की बूंदे जो कभी बोर लगती थी,
अब उन बूंदों के साथ वक्त गुजारने लगा हू,
थोड़ा मैं बदलने लगा हूं।
कभी उड़ा देता था पैसे दोस्तों पर बेवजह,
आप कुछ पैसे छुपा कर किताब में रखने लगा हूं,
थोड़ा में बदलने लगा हूं।
जो पहले समय को छोड़ देता था पीछे,
अब मंजिल का इंतजार करने लगा हू,
हां थोड़ा मैं बदलने लगा हू।।

©Neeraj Neel

अब थोड़ा सा मैं बदलने लगा हूं। कुछ पुराने गीतों को अब ध्यान से सुनने लगा हू, थोड़ा मैं बदलने लगा हूं। कभी जाता नहीं था मैं बगीचे तक अब फूलों को भी सुनने लगा हू, थोड़ा मैं बदलने लगा हू, सुना है वो जाती है मुंडेर पर, इसलिए रात को हर पहर उठने लगा हूं, थोड़ा में बदलने लगा हूं। बारिश की बूंदे जो कभी बोर लगती थी, अब उन बूंदों के साथ वक्त गुजारने लगा हू, थोड़ा मैं बदलने लगा हूं। कभी उड़ा देता था पैसे दोस्तों पर बेवजह, आप कुछ पैसे छुपा कर किताब में रखने लगा हूं, थोड़ा में बदलने लगा हूं। जो पहले समय को छोड़ देता था पीछे, अब मंजिल का इंतजार करने लगा हू, हां थोड़ा मैं बदलने लगा हू।। ©Neeraj Neel

अब मैं बदलने लगा हूं।

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