जूते अभिलाषा
चाह नहीं मैं विश्व सुंदरी के पग में पहना जाऊँ ।
चाह नहीं दूल्हे के पग में रह साली को ललचाऊँ ।
चाह नहीं धनिकों के चरणों में, हे हरि डाला जाऊँ।
चाह नहीं मैं कालीन पे धूमूं, और भाग्य पर इठलाऊँ ।
बस निकाल कर मुझे पैर से, उस मुँह पर देना तुम फैंक
जिस मुँह से भी निकल रहे हों परमात्मा विरोधी शब्द अनेक !!
©Satyapal Yadav
परमात्मा