एक और सदी का वर्ष बिता चला जा रहा हैं कोई मिला मुझ | हिंदी शायरी

"एक और सदी का वर्ष बिता चला जा रहा हैं कोई मिला मुझे तो कोई बिछड़ता चला जा रहा हैं परिवार छोटे और इंसान मतलबी बना जा रहा हैं पैसे के चक्कर मे इंसान गिरा जा रहा हैं ©Nitesh Parashar"

 एक और सदी का वर्ष बिता चला जा रहा हैं
कोई मिला मुझे तो कोई बिछड़ता चला जा रहा हैं
परिवार छोटे और इंसान मतलबी बना जा रहा हैं
पैसे के चक्कर मे इंसान गिरा जा रहा हैं

©Nitesh Parashar

एक और सदी का वर्ष बिता चला जा रहा हैं कोई मिला मुझे तो कोई बिछड़ता चला जा रहा हैं परिवार छोटे और इंसान मतलबी बना जा रहा हैं पैसे के चक्कर मे इंसान गिरा जा रहा हैं ©Nitesh Parashar

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