तन्हाई से तंग होकर निकले थे मोहब्बत कि तलाश मे मोह | हिंदी शायरी

"तन्हाई से तंग होकर निकले थे मोहब्बत कि तलाश मे मोहब्बत भी ऐसी कि फीर तन्हा कर गई ©kajal singh"

 तन्हाई से तंग होकर निकले थे मोहब्बत कि तलाश मे मोहब्बत भी ऐसी कि फीर तन्हा कर गई

©kajal singh

तन्हाई से तंग होकर निकले थे मोहब्बत कि तलाश मे मोहब्बत भी ऐसी कि फीर तन्हा कर गई ©kajal singh

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