तारे ज़रा सी रात ढल जाए तो शायद नींद आ जाए, ज़रा | हिंदी Shayari

"तारे ज़रा सी रात ढल जाए तो शायद नींद आ जाए, ज़रा सा दिल बहल जाए तो शायद नींद आ जाए... अभी तो बे-चैनियाँ हैं बे-क़रारी हैं तबीअ'त कुछ सँभल जाए तो शायद नींद आ जाए  हवा के नर्म झोंकों ने जगाया उनकी यादों को  हवा का रुख़ बदल जाए तो शायद नींद आ जाए    ये तूफ़ाँ आँसुओं का जो उमड आया है पलकों तक मेरे, किसी सूरत ये टल जाए तो शायद नींद आ जाए  ये हँसता-मुस्कुराता क़ाफ़िला जो चाँद-तारों का, 'राज़' आगे निकल जाए तो शायद नींद आ जाए....! . ©KumaR Kishan"

 तारे  ज़रा सी रात ढल जाए तो शायद नींद आ जाए,
ज़रा सा दिल बहल जाए तो शायद नींद आ जाए...

अभी तो बे-चैनियाँ हैं बे-क़रारी हैं
तबीअ'त कुछ सँभल जाए तो शायद नींद आ जाए 

हवा के नर्म झोंकों ने जगाया उनकी यादों को 
हवा का रुख़ बदल जाए तो शायद नींद आ जाए 
 
ये तूफ़ाँ आँसुओं का जो उमड आया है पलकों तक मेरे,
किसी सूरत ये टल जाए तो शायद नींद आ जाए 

ये हँसता-मुस्कुराता क़ाफ़िला जो चाँद-तारों का,
'राज़' आगे निकल जाए तो शायद नींद आ जाए....!








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©KumaR Kishan

तारे ज़रा सी रात ढल जाए तो शायद नींद आ जाए, ज़रा सा दिल बहल जाए तो शायद नींद आ जाए... अभी तो बे-चैनियाँ हैं बे-क़रारी हैं तबीअ'त कुछ सँभल जाए तो शायद नींद आ जाए  हवा के नर्म झोंकों ने जगाया उनकी यादों को  हवा का रुख़ बदल जाए तो शायद नींद आ जाए    ये तूफ़ाँ आँसुओं का जो उमड आया है पलकों तक मेरे, किसी सूरत ये टल जाए तो शायद नींद आ जाए  ये हँसता-मुस्कुराता क़ाफ़िला जो चाँद-तारों का, 'राज़' आगे निकल जाए तो शायद नींद आ जाए....! . ©KumaR Kishan

#अनकहा_सा

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