न मांझी, न रहबर, न हक़ में हवाएं, है कश्ती | हिंदी शायरी

"न मांझी, न रहबर, न हक़ में हवाएं, है कश्ती भी जर्जर, यह कैसा सफर है.....।"

 न  मांझी, न  रहबर, न  हक़  में  हवाएं,


है  कश्ती  भी  जर्जर,  यह  कैसा  सफर  है.....।

न मांझी, न रहबर, न हक़ में हवाएं, है कश्ती भी जर्जर, यह कैसा सफर है.....।

#height

People who shared love close

More like this

Trending Topic