" हुई रे मैं तो ऐसी पागल,
तेरे प्रेम में ना दिखे सवेरा ना दिखे शाम मुझे रे.
जब तू माला श्याम का,
मैं जपु तेरे नाम का माला,
शुद्ध बुद्ध कोई मेरी जाए रे.
तू ना समझे मेरा इशारा..
मैं ना चाहती इस प्रेम में पढ़ना,
पर अब न जाने क्या हुआ
कोई रहूं तुझ मेरे हरजाई।"
©Jyoti Sharma
#स्वयं में खोना