अजनबी हुआ मन" जिसे देखा नहीं , चाहा नहीं, जाना न | हिंदी शायरी V

" अजनबी हुआ मन" जिसे देखा नहीं , चाहा नहीं, जाना नहीं कभी, बस ख़्वाब में मिलते ही, हमसे 'अजनबी हुआ मन'। राहत हमारे साथ मगर गुमसुम सा, धड़कनों में माला जपने लगा किसी की, किसी अजनबी का जाने, दास हुआ मन। ©Anuj Ray "

अजनबी हुआ मन" जिसे देखा नहीं , चाहा नहीं, जाना नहीं कभी, बस ख़्वाब में मिलते ही, हमसे 'अजनबी हुआ मन'। राहत हमारे साथ मगर गुमसुम सा, धड़कनों में माला जपने लगा किसी की, किसी अजनबी का जाने, दास हुआ मन। ©Anuj Ray

# अजनबी हुआ मन"

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