शारीरिक नहीं आत्मीय चमक चाहता हूँ,
सोना चाँदी नहीं, प्रेम के बोल चाहता हूँ,
मिटाकर लाखो झोपड़िया खुद का महल नहीं चाहता हूँ,
लाख निराशाओ मे आशा की किरण
चाहता हूँ |
आशिक मजनू नहीं मातृ भूमि के पूत की भांती मौत चाहता हूँ
©Aditya modi
#army
#Success
#BuddhaPurnima2021