भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे हैं।चीन तेरे कर | हिंदी शायरी

"भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे हैं।चीन तेरे कर्मों का फल हिन्दुस्तानी भोग रहे हैं। परिजन रो रहे हैं घर में। पुत्र प्रदेश में भूखे ही सो रहे हैं। चीन खाया तूने और हाथ हम धो रहे हैं। अमीर, धो रहे हाथ सैनिटाइजर से गरीब साबुन को रो रहे हैं। भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे हैं।चीन तेरे कर्मो का फल। हिंदुस्तानी भोग रहे। सूनी हो गयी सड़कें सूनी हर एक हाट है। कोरोना तेरे कारण मेरे भारत का हाल बेहाल है। ठप हो गए हैं काम धंधे सुने मंदिर के द्वार है। अस्पताल में बैठे हैं जो। वही मेरे भगवान है। भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे हैं। चीन तेरे कर्मों का फल हिंदुस्तानी भोग रहे। ना तेरी कोई औषधि है ना तेरी कोई दवा यहां क्यों आफत मचा रहा है? हो जा यहां से हवा। क्या दुश्मनी है तेरी? इंसान से क्यों एक दूजे में तू भाग रहा। साबुन और सैनिटाइजर से डर कर क्यों हाफ रहा। ना जाएंगे रण मे। ना कोई अस्त्र उठाएंगे। घर में बैठे रहकर ही। तुझको मार भगायंगे भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे चीन तेरे कर्मों का फल हिंदुस्तानी भोग रहे।writing by dev jhak"

 भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे हैं।चीन तेरे कर्मों का फल हिन्दुस्तानी भोग रहे हैं। परिजन रो रहे हैं घर में। पुत्र प्रदेश में भूखे ही सो रहे हैं। चीन खाया तूने और हाथ हम धो रहे हैं। अमीर, धो रहे हाथ सैनिटाइजर से गरीब साबुन को रो रहे हैं। भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे हैं।चीन तेरे कर्मो का फल। हिंदुस्तानी भोग रहे। सूनी हो गयी सड़कें सूनी हर एक हाट  है। कोरोना तेरे कारण मेरे भारत का हाल बेहाल है।  ठप हो गए हैं काम धंधे सुने मंदिर के द्वार  है। अस्पताल में बैठे हैं जो। वही मेरे भगवान है। भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे हैं। चीन तेरे कर्मों का फल हिंदुस्तानी भोग रहे। ना तेरी कोई औषधि है ना तेरी कोई दवा यहां क्यों आफत मचा रहा है? हो जा यहां से  हवा। क्या दुश्मनी है तेरी? इंसान से क्यों एक दूजे में तू भाग रहा। साबुन और सैनिटाइजर से डर कर क्यों हाफ रहा। ना जाएंगे रण मे। ना कोई अस्त्र उठाएंगे। घर में बैठे रहकर ही। तुझको मार भगायंगे भरे  आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे चीन तेरे कर्मों का फल हिंदुस्तानी भोग रहे।writing by dev jhak

भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे हैं।चीन तेरे कर्मों का फल हिन्दुस्तानी भोग रहे हैं। परिजन रो रहे हैं घर में। पुत्र प्रदेश में भूखे ही सो रहे हैं। चीन खाया तूने और हाथ हम धो रहे हैं। अमीर, धो रहे हाथ सैनिटाइजर से गरीब साबुन को रो रहे हैं। भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे हैं।चीन तेरे कर्मो का फल। हिंदुस्तानी भोग रहे। सूनी हो गयी सड़कें सूनी हर एक हाट है। कोरोना तेरे कारण मेरे भारत का हाल बेहाल है। ठप हो गए हैं काम धंधे सुने मंदिर के द्वार है। अस्पताल में बैठे हैं जो। वही मेरे भगवान है। भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे हैं। चीन तेरे कर्मों का फल हिंदुस्तानी भोग रहे। ना तेरी कोई औषधि है ना तेरी कोई दवा यहां क्यों आफत मचा रहा है? हो जा यहां से हवा। क्या दुश्मनी है तेरी? इंसान से क्यों एक दूजे में तू भाग रहा। साबुन और सैनिटाइजर से डर कर क्यों हाफ रहा। ना जाएंगे रण मे। ना कोई अस्त्र उठाएंगे। घर में बैठे रहकर ही। तुझको मार भगायंगे भरे आंसू आंखों में भारतवासी रो रहे चीन तेरे कर्मों का फल हिंदुस्तानी भोग रहे।writing by dev jhak

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