चित्रपदा छंद
विधान:-- ८ वर्ण प्रति चरण
चार चरण, दो-दो समतुकांत
भगण भगण गुरु गुरु
२११ २११ २ २
नीरद जो घिर आए।
तृप्त धरा कर जाए।।
कानन में हरियाली।
हर्षित है हर डाली।।
कोयल गीत सुनाती।
मंगल आज प्रभाती।
गूँजित हैं अब भौंरे।
दादुर ताल किनारे।।
मेघ खड़े सम सीढ़ी।
झूम युवागण पीढ़ी।।
खेल रहे जब होली।
भींग गये जन टोली।।
दृश्य मनोहर भाते।
पुष्प सभी खिल जाते।।
पूरित ताल तलैया।
वायु बहे पुरवैया।।
भारत भूषण पाठक'देवांश'
©Bharat Bhushan pathak
#holikadahan
#होली#holi#nojotohindi#poetry#साहित्य#छंद चित्रपदा छंद
विधान:-- ८ वर्ण प्रति चरण
चार चरण, दो-दो समतुकांत
भगण भगण गुरु गुरु
२११ २११ २ २
नीरद जो घिर आए।