तुम ,तुम रहना
मैं रहूँगा मैं,
जैसे रहते है
झरने,आकाश
धूप , बादल
नदियाँ ,पहाड़
बिल्कुल वैसे ही तुम,
अपना अस्तित्व मत खोना
और जीना अपने जीवन का हर एक पल
लोग बातों के मिलने से प्रेम करते है एक दूसरे को ,
परन्तु मैं करता हूँ प्रेम
हमारी विभिन्नताओं से
और यही विभिन्नताएं
मुझे जोड़े रखती है तुमसे
जैसे धरती-आकाश से
हवा-पानी से
सुख-दुःख से
वैसे ही तुम भी
जोड़ कर रखना मुझको
अपनी विभिन्नताओं से ....
©AKHIL
तुम ,तुम रहना
मैं रहूँगा मैं,
जैसे रहते है
झरने,आकाश
धूप , बादल
नदियाँ ,पहाड़
बिल्कुल वैसे ही तुम,
अपना अस्तित्व मत खोना