काँटों में ही जन्म लेता है,
काँटों में ही मुरझा जाता है,
परवाह नहीं उसे इन शूलों की,
वो बस जग को महकाता है,
यही रहनी चाहिए प्रकृति हमारी भी,
मुश्किलों को अपना कर उनसे लड़कर,
हमको राष्ट्र, समाज को महकाना है...!!
©Varun Raj Dhalotra
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