हर मर्ज़ का इलाज़ दवा नही होता, हर खिला हुवा फूल गुल | हिंदी Shayari

"हर मर्ज़ का इलाज़ दवा नही होता, हर खिला हुवा फूल गुलाब नही होता ! ज़रूरी नही ज़ख़्म मरहम से भरे, हर बीमारी का इलाज दवा नही होता ! तुम्हें ना देखने से भी मेरी तबियत बिगड़ जाती है, हर बार कसूर मौसम का नही होता ! ©sunil kumar"

 हर मर्ज़ का इलाज़ दवा नही होता,
हर खिला हुवा फूल गुलाब नही होता !
ज़रूरी नही ज़ख़्म मरहम से भरे,
हर बीमारी का इलाज दवा नही होता !
तुम्हें ना देखने से भी मेरी तबियत बिगड़ जाती है,
हर बार कसूर मौसम का नही होता !

©sunil kumar

हर मर्ज़ का इलाज़ दवा नही होता, हर खिला हुवा फूल गुलाब नही होता ! ज़रूरी नही ज़ख़्म मरहम से भरे, हर बीमारी का इलाज दवा नही होता ! तुम्हें ना देखने से भी मेरी तबियत बिगड़ जाती है, हर बार कसूर मौसम का नही होता ! ©sunil kumar

#KhoyaMan

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