मैंने मुड़े हुए ख़तों में फिर से तुमको ढूंढा न होता | हिंदी कविता

"मैंने मुड़े हुए ख़तों में फिर से तुमको ढूंढा न होता न होती इस शाम में इतनी बेबसी अगर जाने वाले ने मुझे इस क़दर रुलाया न होता.."

 मैंने मुड़े हुए ख़तों में
फिर से तुमको ढूंढा न होता
न होती इस शाम में इतनी बेबसी
अगर जाने वाले ने मुझे इस क़दर रुलाया न होता..

मैंने मुड़े हुए ख़तों में फिर से तुमको ढूंढा न होता न होती इस शाम में इतनी बेबसी अगर जाने वाले ने मुझे इस क़दर रुलाया न होता..

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