#FourLinePoetry है प्रेम वही... जो हो निश्छल... बि

"#FourLinePoetry है प्रेम वही... जो हो निश्छल... बिन प्रिय के मन होता विह्वल...। बिन उसके गीत बिना सुर के.. मन सदा ही रहता उथल-पुथल..।। ©Meghna Tiwari"

 #FourLinePoetry है प्रेम वही... जो हो निश्छल...
बिन प्रिय के मन होता विह्वल...।
बिन उसके गीत बिना सुर के..
मन सदा ही रहता उथल-पुथल..।।

©Meghna Tiwari

#FourLinePoetry है प्रेम वही... जो हो निश्छल... बिन प्रिय के मन होता विह्वल...। बिन उसके गीत बिना सुर के.. मन सदा ही रहता उथल-पुथल..।। ©Meghna Tiwari

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