इस दहकती हुई गर्मी में बड़ी इनायत
छांव की है।
शहरों ने तो पेड़ों को काटकर घर बना लिए
अब यह सुकून देती हुई छांव मेरे गांव की है।
मुझे फिक्र पानी की है मुझे फिक्र सांसों की है
फिक्र मुझे जलते हुए पांव की है।
शहर का कोई हक नहीं अब इन पर
क्योंकि यह है छांव मेरे गांव की है।
©Birjesh Sahagal
#LongRoad