“नदी पर्वत से उतरे तो मैं तेरी चाल लिखता हूँ, ते | हिंदी Shayari

"“नदी पर्वत से उतरे तो मैं तेरी चाल लिखता हूँ, तेरे होठों की लरजिश पर हर इक सुर-ताल लिखता हूँ, तेरी आँखों की झीलों में है मेरे इश्क के आँसू, तो जानेमन मै तेरे नाम ये भोपाल लिखता हूँ...!” ©Ravi Malviya"

 “नदी पर्वत से उतरे तो मैं तेरी चाल
 लिखता हूँ,
 तेरे होठों की लरजिश पर हर इक सुर-ताल 
लिखता हूँ, 
तेरी आँखों की झीलों में है मेरे इश्क के आँसू, तो जानेमन मै तेरे नाम ये
 भोपाल लिखता हूँ...!”

©Ravi Malviya

“नदी पर्वत से उतरे तो मैं तेरी चाल लिखता हूँ, तेरे होठों की लरजिश पर हर इक सुर-ताल लिखता हूँ, तेरी आँखों की झीलों में है मेरे इश्क के आँसू, तो जानेमन मै तेरे नाम ये भोपाल लिखता हूँ...!” ©Ravi Malviya

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