रूठ कर उनसे उन्हे ही मनाते रहे वो जीत कर हमसे हम | हिंदी कविता

"रूठ कर उनसे उन्हे ही मनाते रहे वो जीत कर हमसे हमसे ही हारते रहे जितने करीब थे वो उतने दूर हो गए मिले हम मगर मुक्कमल न मिल सके, मेरी एक खता सरे आम हो गई उनकी हर ख़ता हम दफ्न करते रहे, वो पाकर हमे कभी पा न सके हम ख़ुद को खो कर उन्हें ख़ुद में उतारते रहे, जिनको ख़्याल तक मेरा न आया उन्हें याद कर हम रोते रहे, गुनेहगार था वो "शख़्स" मेरे रिश्ते की मौत का, और वो ख़ुद को पाक बताते रहे, वो गया जब से फिर नजर न आया कभी, उसकी तस्वीर को हम आज भी गले लगाते रहे, रूठ कर उनसे उन्हें ही...... ©Naina ki Nazar se"

 रूठ कर उनसे
 उन्हे ही मनाते रहे

वो जीत कर हमसे
हमसे ही हारते रहे

जितने करीब थे वो
उतने दूर हो गए

 मिले हम मगर
मुक्कमल न मिल सके,

मेरी एक खता 
सरे आम हो गई

उनकी हर ख़ता
हम दफ्न करते रहे,

वो पाकर हमे
कभी पा न सके

हम ख़ुद को खो कर
उन्हें ख़ुद में उतारते रहे,

जिनको ख़्याल तक मेरा न आया
उन्हें याद कर हम रोते रहे,

गुनेहगार था वो "शख़्स"
मेरे रिश्ते की मौत का,

और वो ख़ुद को
 पाक बताते रहे,

वो गया जब से
फिर नजर न आया कभी,

उसकी तस्वीर को हम
आज भी गले लगाते रहे,

रूठ कर उनसे
उन्हें ही......

©Naina ki Nazar se

रूठ कर उनसे उन्हे ही मनाते रहे वो जीत कर हमसे हमसे ही हारते रहे जितने करीब थे वो उतने दूर हो गए मिले हम मगर मुक्कमल न मिल सके, मेरी एक खता सरे आम हो गई उनकी हर ख़ता हम दफ्न करते रहे, वो पाकर हमे कभी पा न सके हम ख़ुद को खो कर उन्हें ख़ुद में उतारते रहे, जिनको ख़्याल तक मेरा न आया उन्हें याद कर हम रोते रहे, गुनेहगार था वो "शख़्स" मेरे रिश्ते की मौत का, और वो ख़ुद को पाक बताते रहे, वो गया जब से फिर नजर न आया कभी, उसकी तस्वीर को हम आज भी गले लगाते रहे, रूठ कर उनसे उन्हें ही...... ©Naina ki Nazar se

#apart @Alewar A @##### Suman Zaniyan sheetal pandya मेरे शब्द @Mp Raj

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