रूठ कर उनसे
उन्हे ही मनाते रहे
वो जीत कर हमसे
हमसे ही हारते रहे
जितने करीब थे वो
उतने दूर हो गए
मिले हम मगर
मुक्कमल न मिल सके,
मेरी एक खता
सरे आम हो गई
उनकी हर ख़ता
हम दफ्न करते रहे,
वो पाकर हमे
कभी पा न सके
हम ख़ुद को खो कर
उन्हें ख़ुद में उतारते रहे,
जिनको ख़्याल तक मेरा न आया
उन्हें याद कर हम रोते रहे,
गुनेहगार था वो "शख़्स"
मेरे रिश्ते की मौत का,
और वो ख़ुद को
पाक बताते रहे,
वो गया जब से
फिर नजर न आया कभी,
उसकी तस्वीर को हम
आज भी गले लगाते रहे,
रूठ कर उनसे
उन्हें ही......
©Naina ki Nazar se
#apart @Alewar A @##### Suman Zaniyan sheetal pandya मेरे शब्द @Mp Raj