धीरे धीरे नसों में घुलती है मोहब्बत
फिर कुछ ही पलों में सिर चढ़ती है मोहब्बत
बेकाबू करके जज़्बात सारा
फिर हल्की-हल्की आंखों में झलकती है मोहब्बत
लब गुनगुना लगता है,फिर लड़खड़ाने लगता है
और फिर एक दिन.....
दर्द बनकर आंखो से झलकती है मोहब्बत
©dev
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