गज का शीश धारण कर बने वह गजानन्द है ।सब का दुख -दर | हिंदी Poetry

"गज का शीश धारण कर बने वह गजानन्द है ।सब का दुख -दर्द दूर कर बने वो विघ्नहर्ता है ।।वह महाबली है असुरों को सन्गारते हैं । वो सिद्धिविनायक हैं जो हर घर में प्रथम विराजते हैं । वह शिवजी के शस्त्र हैं पार्वती के दुलारे हैं सब के पालनहार हैं दीन -दुखी के सहारे हैं। जो सबके हृदय में बसते हैं वह गणपति बप्पा मंगल मूर्ति विनायक हैं ©rekhabaroliya"

 गज का शीश धारण कर बने वह गजानन्द है ।सब का दुख -दर्द दूर कर बने  वो  विघ्नहर्ता है ।।वह महाबली है असुरों को सन्गारते  हैं । वो सिद्धिविनायक हैं जो हर घर में प्रथम विराजते हैं । वह शिवजी के शस्त्र हैं पार्वती के दुलारे हैं सब के पालनहार हैं दीन -दुखी के सहारे हैं। जो सबके हृदय में बसते हैं वह गणपति बप्पा मंगल मूर्ति विनायक हैं

©rekhabaroliya

गज का शीश धारण कर बने वह गजानन्द है ।सब का दुख -दर्द दूर कर बने वो विघ्नहर्ता है ।।वह महाबली है असुरों को सन्गारते हैं । वो सिद्धिविनायक हैं जो हर घर में प्रथम विराजते हैं । वह शिवजी के शस्त्र हैं पार्वती के दुलारे हैं सब के पालनहार हैं दीन -दुखी के सहारे हैं। जो सबके हृदय में बसते हैं वह गणपति बप्पा मंगल मूर्ति विनायक हैं ©rekhabaroliya

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