चोट लगती तो मुंह के बल गिरते नसीब अच्छा रहा वक्त | हिंदी शायरी

"चोट लगती तो मुंह के बल गिरते नसीब अच्छा रहा वक्त रहते संभल गए हम तकदीर ने जैसा चाहा वैसे ढल गए हम और अब लोगों की शिकायत है बहुत बदल गए हम.!¡ ©battameez kalam"

 चोट लगती तो मुंह के बल गिरते 
नसीब अच्छा रहा वक्त रहते संभल गए हम
तकदीर ने जैसा चाहा वैसे ढल गए हम
और अब लोगों की शिकायत है बहुत बदल गए हम.!¡

©battameez kalam

चोट लगती तो मुंह के बल गिरते नसीब अच्छा रहा वक्त रहते संभल गए हम तकदीर ने जैसा चाहा वैसे ढल गए हम और अब लोगों की शिकायत है बहुत बदल गए हम.!¡ ©battameez kalam

#battameez_kalam

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