White वो मेरी रूह के आंगन में खेलता है सुना है | हिंदी Shayari

"White वो मेरी रूह के आंगन में खेलता है सुना है अपना नाम वो जख्म बतलाता है । रोज रात दीवार फ़ांद चला आता है बिना इज़ाजत लिए, सुना है दीवार के उस तरफ़ मुस्कुराता है वो बहुत बेशर्मी से... वो मेरी रूह के आंगन में, मेरी जमीं को कूरेद जाता है, और वापस जाकर एक हजूम से कहता है मैं खेल आया उससे बड़ी बेशर्मी से । #मानस ।। रमेश राज सर की चंद पंक्तियों से प्रभावित इक नज़्म ... ©Manas Krishna"

 White वो मेरी रूह के आंगन में खेलता है 

सुना है 
अपना नाम वो जख्म बतलाता है ।
रोज रात दीवार फ़ांद चला आता है 
बिना इज़ाजत लिए,

सुना है
दीवार के उस तरफ़ मुस्कुराता है वो 
बहुत बेशर्मी से...
वो मेरी रूह के आंगन में, मेरी जमीं 
को कूरेद जाता है, और 
वापस जाकर एक हजूम से कहता है 
मैं खेल आया उससे बड़ी बेशर्मी से ।

#मानस ।।

रमेश राज  सर की चंद पंक्तियों से 
प्रभावित इक नज़्म ...

©Manas Krishna

White वो मेरी रूह के आंगन में खेलता है सुना है अपना नाम वो जख्म बतलाता है । रोज रात दीवार फ़ांद चला आता है बिना इज़ाजत लिए, सुना है दीवार के उस तरफ़ मुस्कुराता है वो बहुत बेशर्मी से... वो मेरी रूह के आंगन में, मेरी जमीं को कूरेद जाता है, और वापस जाकर एक हजूम से कहता है मैं खेल आया उससे बड़ी बेशर्मी से । #मानस ।। रमेश राज सर की चंद पंक्तियों से प्रभावित इक नज़्म ... ©Manas Krishna

#Hope

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