जो नहीं हो सके पूर्ण काम (Jo nahin ho sake purn kaam) Shayari/ Ghazal/ Poem by Baba Nagarjun (बाबा नागार्जुन) || SOHBAT
जो नहीं हो सके पूर्ण-काम
मैं उनको करता हूँ प्रणाम ।
कुछ कुण्ठित औ' कुछ लक्ष्य-भ्रष्ट
जिनके अभिमन्त्रित तीर हुए;
रण की समाप्ति के पहले ही