"महेश नवमी "की रुत है आई,
अपने " भोलेनाथ" को प्रसन्न करने ।।
ये भक्तों की टोली है आई,
नगर में बोल-बम वालों का हला मच गया।।
न धन दौलत के भूखे है हम,
न ऐशो आराम की लालसा हमें ;
"महेश "जिनका नाम है,
कैलाश पर्वत जो करते वास है।।
नमन करते है हम "महेश" के चरणों में,
कि हम "महेश्वरी के वंशज " होने का गर्व
महसूस करते है।।
हमारी रिती-रिवाज और परंपरा सबसे
हटकर है,
चाहे गणगौर हो,
चाहे तीज हो।।
संस्कृति और संस्कार हम न छोड़ेंगे,
हर जन्म में "महेश्वरी के वंशज"हम
कहलाना चाहेंगे।।
जय महेश
जय महेश्वरी
~सुरभि लड्डा
जाजपुर रोड़
©I_surbhiladha
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