लकड़ी की कस्ती थी और दरिया था आग का हम तो जलके खाक | हिंदी Shayari

"लकड़ी की कस्ती थी और दरिया था आग का हम तो जलके खाक हो गए मियां खुदा इश्क मुक्कम्मल करे आपका ©Mukul Thakur "

 लकड़ी की कस्ती थी और दरिया था आग का
हम तो जलके खाक हो गए
मियां खुदा इश्क मुक्कम्मल करे आपका

©Mukul Thakur

लकड़ी की कस्ती थी और दरिया था आग का हम तो जलके खाक हो गए मियां खुदा इश्क मुक्कम्मल करे आपका ©Mukul Thakur

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