आँसुओ की चाशनी में गुल रहे हैं दुख कई दर्द समझे | हिंदी Shayari

"आँसुओ की चाशनी में गुल रहे हैं दुख कई दर्द समझे लोग मेरा कोई पूछने आया नहीं माँ ये कहती थी मुझे तू इंसानियत का है धनी पर पीता हूँ हर पल सदा मैं आँसुओ की चाशनी --अभिषेक व्यास"

 आँसुओ की चाशनी
में 
गुल रहे हैं दुख कई 
दर्द समझे लोग मेरा 
कोई पूछने आया नहीं
माँ ये कहती थी मुझे
तू इंसानियत का है धनी
पर पीता हूँ हर पल सदा
मैं
आँसुओ की चाशनी

--अभिषेक व्यास

आँसुओ की चाशनी में गुल रहे हैं दुख कई दर्द समझे लोग मेरा कोई पूछने आया नहीं माँ ये कहती थी मुझे तू इंसानियत का है धनी पर पीता हूँ हर पल सदा मैं आँसुओ की चाशनी --अभिषेक व्यास

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