जमीर अपना बेच ही चुके, अब शर्म क्या खुदा से भी बदज | हिंदी Shayari

"जमीर अपना बेच ही चुके, अब शर्म क्या खुदा से भी बदजुबानी में गिनती की है बची सांसे, आओ इसे भी जाया करे रोशनी से टकराने में ©Siddharth Kashyap"

 जमीर अपना बेच ही चुके, अब शर्म क्या खुदा से भी बदजुबानी में 

गिनती की है बची सांसे, आओ इसे भी जाया करे रोशनी से टकराने में

©Siddharth Kashyap

जमीर अपना बेच ही चुके, अब शर्म क्या खुदा से भी बदजुबानी में गिनती की है बची सांसे, आओ इसे भी जाया करे रोशनी से टकराने में ©Siddharth Kashyap

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