जप केवल निज राग, ओढ़ फ़क़ीरी मस्त मन। जग की चिंत्या त | हिंदी कविता

"जप केवल निज राग, ओढ़ फ़क़ीरी मस्त मन। जग की चिंत्या त्याग, पर चिंत्या परलोक है।। चारण गोविन्द"

 जप केवल निज राग, ओढ़ फ़क़ीरी मस्त मन।
जग की चिंत्या त्याग, पर चिंत्या परलोक है।।

चारण गोविन्द

जप केवल निज राग, ओढ़ फ़क़ीरी मस्त मन। जग की चिंत्या त्याग, पर चिंत्या परलोक है।। चारण गोविन्द

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