शम्स की तमाज़त में गुज़रे न जाने कितने उम्र मेरे, | हिंदी Shayari

"शम्स की तमाज़त में गुज़रे न जाने कितने उम्र मेरे, फिर भी दरख़्त को मुझपर एकबार तरस न आया। ©Ayushi kumari"

 शम्स की तमाज़त में गुज़रे न जाने कितने उम्र मेरे,
फिर भी दरख़्त को मुझपर एकबार तरस न आया।

©Ayushi kumari

शम्स की तमाज़त में गुज़रे न जाने कितने उम्र मेरे, फिर भी दरख़्त को मुझपर एकबार तरस न आया। ©Ayushi kumari

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